दिल्ली में डॉक्टरों ने हथेली खो चुके बच्चे के हाथ में लगाई पैरों की अंगुलियां

नई दिल्ली। मासूम वीरेंद्र के लिए इस बार की दिवाली खास रही। उसके हाथ में अंगुलियों के सफल प्रत्यारोपण के बाद अब वह पढ़-लिख सकेगा और अपने सपनों को पूरा कर सकेगा। दिवाली से एक दिन पहले सफदरजंग अस्पताल ने इस कठिन प्रक्रिया को पूरा कर वीरेंद्र के लिए जिंदगी की राह आसान बनाई।
दस वर्षीय वीरेंद्र के पिता बादल सिंह मूलत नेपाल के निवासी हैं व कई सालों से दिल्ली के छतरपुर में रहते हैं। ड्राइवर का काम करने वाले बादल ने बताया कि हादसा 3 मार्च 2014 का है। वीरेंद्र पड़ोस में चल रहे कीर्तन में मां के साथ गया था। कुछ देर बाद वह शौच के लिए अकेले घर लौटा और कमरा बंद कर लिया। जल्दबाजी में उसने पानी गर्म करने वाले रॉड का स्विच ऑन कर लिया और उसकी चपेट में आ गया। उसके दोनों हाथ व छाती बुरी तरह झुलस गई थी।
इलाज के दौरान संक्रमण के कारण उसका बायां हाथ कलाई से नीचे व दायें हाथ की अंगुलियां काटनी पड़ीं थीं। दायें हाथ में अंगूठे की आधी हड्डी व हथेली का कुछ हिस्सा ही बचा था। इसके कारण दैनिक कार्यों के साथ ही पढ़ना-लिखना प्रभावित था। हादसे के वक्त वीरेंद्र पहली कक्षा में पढ़ता था। बाद में उसने स्कूल में प्रवेश तो लिया था, लेकिन लिख पाना अब भी नामुमकिन था।
10 घंटे चला ऑपरेशन
सफदरजंग अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राकेश केन ने बताया कि ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों ने बायें पैर का अंगूठा और उसके पास की एक अन्य अंगुली को निकालकर उसके दायें हाथ में प्रत्यारोपित करने का फैसला किया था। इस कठिन फैसले के जानकारी परिजनों को दे दी गई थी। उसके दोनों हाथ पहले से कटे हुए थे। ऐसे में ऑपरेशन सफल नहीं होता तो एक पैर की अंगुलियों को भी खोना पड़ता।
बहरहाल 18 अक्टूबर को 10 घंटे उसकी सर्जरी की गई। पैर के अंगूठे व अंगुली को सुरक्षित तरीके से निकाला गया। इस क्रम में पैर की नसों, हड्डियों आदि को सुरक्षित निकालना और उसे हाथ में जोड़ना जटिल था। देश में इस तरह के एक-दो ऑपरेशन ही हुए हैं। ऑपरेशन हुए पांच दिन हो चुके हैं। अब अंगुलियों को व्यायाम करने का तरीका बताया जाएगा ताकि दोनों अंगुलियां ठीक से काम कर सकें। इन दो अंगुलियों व पहले से आधे बचे अंगूठे की मदद से वह लिख सकेगा। पेट की मांसपेशियों से पिछले साल वीरेंद्र की हथेली का ऑपरेशन किया गया था।