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शिशु के शरीर के अंग बहुत ज्यादा नाजुक होते हैं इसलिए उसे ऐसे ही किसी कपड़े में लपेटना ठीक नहीं है। इसके लिए सबसे पहले ध्यान दें कि शिशु को जिस कपड़े में लपेट रहे हैं वो अच्छी तरह साफ हो और नर्म हो। इसके लिए मुलायम टॉवेल और सूती कपड़ा उपयुक्त होता है। ऐसा ही एक कपड़ा ले कर किसी समतल जगह पर बिछा लें।अब कपड़े के ऊपरी दाहिने छोर को लगभग 15 सेन्टीमीटर मोड़ कर उसकी एक तह लगा लें। अब अपने शिशु को पीठ के सहारे लिटाकर उसका सिर उस तह पर रख दें। अपने शिशु के बायें हाथ के निकट के छोर को उसके शरीर के ऊपर से ले जाकर उसके दाहिने हाथ और पीठ के नीचे भी तह लगा लें। अब नीचे के छोर को खींच लें और शिशु की ठोढ़ी के नीचे तह लगा दें। फिर दाहिने छोर को खींच कर उसके बायीं ओर नीचे एक और तह लगाएं। कुछ शिशु अपनी भुजायें खुली रखना पसंद करते हैं, इसलिए आप अपने शिशु को उसकी भुजाओं के नीचे लपेटें ताकि वह अपने हाथों और अंगुलियों को खुला रख सके।
गर्भ में बच्चे को मां के शरीर की गर्मी का एहसास होता है जबकि बाहर के तापमान के तापमान में खुद को एडजस्ट करने में उसे समय लगता है। दुनिया में आने के बाद भी शिशुओं को सुरक्षा की भावना का एहसास दिलाना जरूरी होता है। इसके लिए मां की गोद शिशु को सुरक्षित महसूस होती है क्योंकि एक तो गोद में उसे गर्माहट का एहसास होता है। इसके अलावा सर्दी के मौसम में शिशु के शरीर को गर्म रखने और रोगों से बचाने के लिए भी शिशु को लपेटना अच्छा होता है।