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पोलियो के दोबारा पनपने की आशंका निराधार: स्वास्थ्य मंत्रालय
नई दिल्ली।
देश में कुछ स्थानों पर पोलियो के पी-दो वायरस पाने के बाद जताई जा रही आशंकाओं को खारिज करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने आश्वस्त किया है कि देश में पोलियो बीमारी के दोबारा पनपने का कोई आधार नहीं है।
देश में दो साल पहले तक पी-दो वायरस मौजूद था कि लेकिन इसके कारण पोलियो की आखिरी बीमारी 1999 में दर्ज की गई थी। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि 'हमलोग पोलियो को लेकर कतई चिंतित नहीं है, हमारी चिंता बस इतनी है कि जिस वायरस को हमने खत्म कर दिया था, वह कैसे आ गया।' गौरतलब है कि पिछले दिनों उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर, तेलंगाना और मुंबई में पी-दो वायरस पाये जाने के बाद पोलियो के फिर से पनपने की आशंका जताई जा रही थी।पोलियो की रोकथाम से जुड़े स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार पी-दो को पाये जाने का मतलब पोलियो के दोबारा पनपने से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2016 तक देश में पी-दो वायरस मौजूद थे और बच्चों को पोलियो के तीनो वायरस की खुराक दी जा रही थी। लेकिन पी-दो वायरस से अंतिम पोलियो का मरीज 1999 में मिला था। 2016 के अप्रैल में विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश पर पी-दो के वायरस को पोलियो के ओरल वैक्सीन (ओपीवी) हटा लिया गया था। लेकिन इंजेक्शन के मार्फत दिये जाने वाले इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सिन (आइपीवी) में पी-दो वायरस दिया जा रहा है। देश में सभी बच्चों को छह और 14 महीने की उम्र में दो बार आइपीवी दिया जा रहा है। आइपीवी पाये बच्चे पोलियो के खतरे से महफूज हैं।
अप्रैल 2016 में ओपीवी में पी-दो वायरस हटाने के बाद भी वातावरण में इसके वायरस सितंबर 2016 तक मिलते रहे थे। दो साल बाद पहली बार देश में दो स्थानों पर पी-दो वायरस पाये गए हैं। इनमें उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर के दो ब्लाक में दो बच्चों को पैरालिटिक अटैक की सूचना मिलने के बाद पहले तय नियम के अनुसार उसके मल की जांच की गई। जांच में पी-दो वायरस की बहुत की कम मात्रा पाई गई। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि पारालाइसिस का शिकार दोनों बच्चों को पोलियो नहीं था और अब वे बिल्कुल ठीक है।
जांच में पता चला कि गाजियाबाद की कंपनी बायोमेड के ओपीवी वैक्सीन में पोलियो-दो वायरस हैं। कंपनी के वैक्सिन के सभी स्टॉक को सील कर दिया गया और दो वैक्सिन सप्लाई कर दी गई थी, उसे वापस मंगा लिया गया। इस कंपनी के वैक्सीन जहां-जहां बच्चों को दी गई थी, उन इलाकों पर विशेष नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही यह पता लगाया जा रहा कि किन-किन बच्चों को आइवीपी का डोज नहीं दिया गया है। ऐसे बच्चों की खोज कर उन्हें आइवीपी वैक्सीन देने का काम भी शुरू कर दिया गया है।
सितंबर में ही उत्तरप्रदेश के अलावा मुंबई में के सीवेज सैंपल में भी पी-दो वायरस मिले हैं। खास बात यह है कि मुंबई में बायोमेड की वैक्सीन सप्लाई भी नहीं होती है। ऐसे में वहां पी-दो वायरस मिलना आश्चर्य की बात है। लेकिन उन्होंने भरोसा दिया कि जल्द ही इस वायरस के स्त्रोत का पता लगा लिया जाएगा।
from Dainik Jagran
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