नीम की पत्तियों और बीजों का सत्व डायबिटीज और रक्तचाप नियंत्रित करने में सक्षम है।
- नीम की पत्तियों के रस का सेवन करने से लिवर मजबूत रहता है।
इसके बीज, फल, फूल में ट्यूमर रोधी गुण पाए जाते हैं जो कई प्रकार के कैंसर को खत्म करने में मददगार हैं। - नीम की दातुन दांतों और मसूड़ों के लिए सबसे अच्छी दवा मानी जाती है
नीम की पत्तियों को उबालकर ठंडे किए गए पानी से नहाने से त्वचा हर प्रकार के संक्रमण से सुरक्षित रहती है।
- इस पानी से बाल धोने से डैंड्रफ की समस्या भी दूर होती है।
- नीम की सूखी पत्तियां जलाकर धुआं करने से मच्छर पास भी नहीं फटकते, जो इस मौसम में नाक में दम कर देते हैं।
- कपड़ों में नीम की पत्तियां या नीम के तेल की गोलियां रखने से कपड़े नमी से खराब नहीं होते।
- अनाज में नीम के पत्ते रखने से कीड़े नहीं लगते।
वानिकी और कृषि पर आधारित संस्कृत पुस्तक उपवन विनोद में नीम को बीमार मिट्टी, पौधों और मवेशियों के लिए गुणकारी बताया गया है। नीम के बीजों में से तेल निकालने के बाद जो खली बचती है उसे चारे के तौर पर पशुओं को खिलाया जाता है, जबकि इसकी पत्तियां मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाती हैं।
औसत लंबाई |
15-20 मी |
जीवनकाल |
150-200 वर्ष |
आयुर्वेद मेें नीम का उपयोग |
4000 वर्ष से भी अधिक समय से |
यथा नाम तथा गुण
संस्कृत में इसके कई नाम हैं। अरिष्ट का अर्थ है संपूर्ण और अविनाशी। दूसरा नाम है निम्ब जिसे ‘निम्बति स्यास्थ्यमददाती’से लिया गया है जिसका मतलब है ‘अच्छी सेहत देना’। पिंचुमाडा नाम का मतलब है लकवे और त्वचा रोगों का इलाज करने वाला। नीम को ‘चालीस का पेड़’ नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह चालीस तरह के रोगों का प्रभावी इलाज करता है। यूनानी विद्वानों ने इसे शजर-ए-मुनारक यानी मुबारक पेड़ नाम दिया। फारसी विद्वानों ने इसे आजाद दरख्त ए हिंद यानी देश का आजाद पेड़ नाम दिया।
धार्मिक मान्यताएं
कहते हैं कि देवराज इंद्र ने जब धरती पर अमृत छिड़का तो इससे नीम के पेड़ का जन्म हुआ और इसमें चमत्कारी गुण आ गए। दूसरी मान्यता है कि इसमें शीतला मां का निवास है।