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ये योगासन बदल देंगे आपकी जिंदगी
मेडिकल साइंस के अलावा दुनिया भर ने योग के शारीरिक और मानसिक महत्व को स्वीकार कर लिया है। इसकी जीती-जागती मिसाल है अंतरराष्ट्रीय योग दिवस। योग जहां आपके स्वास्थ्य को बरकरार रखता है, वहीं यह हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोगों और अन्य रोगों से बचाव में भी सहायक है।
योग का महत्व
वर्तमान समय में अपनी व्यस्त जीवन शैली के कारण लोग संतोष पाने के लिए योग करते हैं। योग से न केवल व्यक्ति का तनाव दूर होता है बल्कि मन और मस्तिष्क को भी शांति मिलती है। योग बहुत ही लाभकारी है। योग न केवल हमारे दिमाग, मस्तिष्क को ही ताकत पहुंचाता है बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है। आइए आपको बताते कुछ आसान से आसन और उनके लाभ...!
भुजंगासन
ऐसे करें: दोनो पैरों को एक साथ करके पेट के बल लेट जायें। पंजे बाहर की तरफ रखें। हाथों को जांघों के बगल में रखें। हथेली ऊपर की तरफ रखें और ललाट को जमीन पर रखें। हाथों को कोहनी से मोड़ें। हथेली को जमीन पर कंधे के किनारे रखें। अंगूठे कांख की तरफ होने चाहिये। ठुड्डी को आगे ले आयें और जमीन पर रख दें। सामने देखें। धीरे धीरे सिर, गर्दन और कंधों को उठायें। धड़ को नाभि तक उठायें। ठुड्डी को जितना हो सके ऊपर करें।
लाभ: पीठ की पेशियां प्रभावित होती हैं। पेट के भारीपन में लाभकारी है। स्लिप्ड डिस्क, पीठ दर्द में आराम मिलता है। रीढ़ की हड्डी को लचकदार व स्वस्थ बनाता है। यह अंडाशय और गर्भाशय को सुदृढ़करता है।
चक्रासन
ऐसे करें: पीठ के बल लेट जायें। घुटने मोड़ लें। भुजाओं को उठायें। कोहनियों को मोड़े। हथेली को कंधे के ऊपर सिर के बगल में जमीन पर रखें। सांस लें और धीरे धीरे धड़ को उठाते हुए पीठ को धनुष के आकार में ले जायें। धीरे धीरे सिर को गिरा कर भुजाओं और पैर को जितना हो सके सीधा कर लें।
लाभ: रीढ़ मजबूत और लचीली होती है। कमर पतली और सीना चौड़ा करता है। घुटनों, ऊपरी अंगों और कंधे के लिये अच्छा है। यह हड्डियों की अकड़न, पसलियों के जोड़ के अकड़न को कम करने में सहायक है।
सावधानी: गंभीर हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और हार्निया से पीड़ित इसे न करें।
उष्ट्रासन
ऐसे करें: जमीन पर घुटनों के बल आ जायें। अपने जांघों और पंजों को एक साथ रखें। पंजे पीछे की तरफ रहें और जमीन पर टिकाये रहें। घुटनों और पंजों को एक फुट की दूरी पर चौड़ा कर घुटनों पर खड़े हो जायें। सांस लेते समय पीठ पीछे झुकायें। पीछे झुकते समय गर्दन को अचकाये नहीं। सांस छोड़ते हुए दाहिनी हथेली को दाहिनी एड़ी पर रखें और बायें हथेली को बायें एड़ी पर। अंतिम स्थिति में, जांघ फर्श पर लंबवत होना चाहिये और सिर पीछे की तरफ झुका रहेगा।
लाभ: दृष्टिदोष में बहुत लाभकारी। पीठ और गर्दन दर्द में बहुत लाभकारी। पेट की वसा को कम करने में मददगार।
सावधानी: उच्च रक्त चाप, हृदय की बीमारी, हार्निया के मरीज को ये आसन नहीं करना चाहिये।
मत्स्यासन
ऐसे करें: पद्मासन में बैठें। धीरे से पीछे की तरफ झुकें और पीठ के बल लेट जायें। पीठ को कोहनी और हथेली के सहारे से ऊपर उठायें और सिर के शीर्ष को जमीन पर रख दें। बायें पैर को दाहिने हाथ से इसी प्रकार दाहिने पैर को बायें हाथ से पकड़ लें और कोहनी को जमीन पर रखें। घुटने जमीन पर लगे होने चाहिये और पीठ इतनी घुमावदार होनी चाहिये कि शरीर सिर और घुटनों से संतुलन मिले।
लाभ: पेट के अंगों की मालिश से कब्ज दूर होती है। मधुमेह के लिए बेहतर। गले की बीमारियों में प्रभावी। पीठ की पेशियों को आराम देता है और रीढ़ को
लचीला बनाता है। यह घुटने और पीठ दर्द में उपयोगी है। गर्भाशय संबंधी समस्या से ग्रस्त महिला के लिए लाभदायक।
सावधानी: जिन्हें पेप्टिक अल्सर, हार्निया या अन्य कोई रीढ़ से जुड़ी समस्या हो तो बिना विशेषज्ञ इस आसन से बचें।
हलासन
ऐसे करें: पीठ के बल लेट जायें। हाथ को जांघों के बगल में लगायें। हथेली को जमीन पर रखें। धीरे धीरे अपने घुटनों को मोड़े बिना उठाये और 30 अंश के कोण पर रुक जायें। कुछ देर बाद अपने को 60 अंश के कोण पर ले जाकर इस स्थिति में बने रहें। अब धीरे-धीरे पैरों को 90 अंश के कोण पर उठा लें। यह अर्धहलासन की अन्तिम स्थिति है। जमीन पर हाथ से दबाव बनाते हुए कमर के निचले हिस्से को फर्श से हटाते हुए उठायें। पैरों को सिर की तरफ लायें और फर्श को अंगुलियों से सिर के पीछे छुयें। हाथों को सीधा ले जाकर पीठ के पीछे जमीन पर रख दें।
लाभ: अपच और कब्ज में लाभकारी। मधुमेह, बवासीर, और गले संबंधी बीमारियों में उपयोगी। हलासन के बाद भुजंगासन करने से अधिकतम लाभ।
सावधानी: जिन्हें सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस, रीढ़ की अकड़न, हाइपरटेंशन हो, वे इस आसन से बचें।
गोमुखासन
ऐसे करें: सीधे बैठ जायें। दोनो पैरों को सामने सीधा फैलायें। दोनो हाथों को अगल-बगल रखें। हथेली को जमीन पर रखें और अंगुलियों को सामने की तरफ करें। बायें पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाहिने पैर के कमर के निचले हिस्से के पास रख दें। यही प्रक्रिया दाहिने पैर के साथ करें। बायें हाथ को ऊपर उठायें। कोहनी से मोड़ें और उसे पीठ की तरफ कंधे से नीचे ले जायें। दाहिना हाथ उठायें, कोहनी से मोड़ें और पीठ की तरफ ऊपर ले जायें। पीठ के पीछे दोनों अंगुलियों को आपस में फंसा लें। अब सिर को कोहनी के विपरीत जितना हो सके पीछे ले जाने का प्रयास करें।
लाभ: पीठ और बाईसेप्स की पेशियों को मजबूती मिलती है। कूल्हे और निचले हिस्से के दर्द को मिटाता है। रीढ़ को सीधा रखने में मदद करता है। अर्थराइटिस और सूखे बवासीर में बहुत उपयोगी है।
सावधानी: जिन्हें रक्त बवासीर हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिये।
शीर्षासन
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